परिषदीय स्कूलों के छात्र-छात्राओं को जूते और स्वेटर वितरण करने के मामले में लापरवाही बरती जा रही है। हाल यह है कि छात्र नंगे पैर और बिना स्वेटर स्कूल जाने को मजबूर हैं। ऐसा नहीं है कि जूते और स्वेटर मिले नहीं है, बल्कि मामला साइज का है। साइज छोटा होने की वजह से जिले में करीब छह हजार विद्यार्थी जूते पहन नहीं पा रहे। कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है। ऐसे में विद्यार्थियों की परेशानी और बढ़ जाएगी।
बेसिक शिक्षा विभाग के 455 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में करीब एक लाख छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इन बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के साथ-साथ यूनिफार्म, मध्यान्ह भोजन, स्वेटर, जूते व अन्य सामान दिया जाता है। जिससे यह बच्चे गरीबी के अभाव में स्कूल जाना न छोड़ दें। सरकार करोड़ों रुपये इस पर खर्च कर रही है, लेकिन सरकारी मशीनरी के कारण ही बच्चों को शत प्रतिशत लाभ नहीं मिल पा रहा है। जुलाई में छात्र-छात्राओं को जूते वितरित किए गए थे। लगभग सभी छात्रों को जूते दे दिए गए। जिले में करीब छह प्रतिशत छात्रों को उनके साइज के जूते नहीं मिले। छात्रों ने विरोध किया है कि यह जूते काफी बड़े या छोटे हैं, ऐसी स्थिति में वह नहीं पहन सकते हैं।
साइज में आ रही दिक्कत
जूते मिलने के बाद बच्चों के अभिभावकों ने स्कूल पहुंच कर विरोध जताया। कहा कि बच्चों को जो जूते दिए गए हैं, उनके वह साइज आ रही नहीं रहा है। ऐसे में जूते देने का कोई फायदा नहीं है। शिक्षकों ने कहा कि शासन से ऐसे ही जूते आए हैं, ऐसे ही मिलेंगे। अभिभावकों ने इसका विरोध किया है।
परिवार के बच्चे पहन रह जूते
स्कूलों के जूते न बदलने पर मजबूरी में छात्रों ने अपने घर परिवार के बच्चों को जूते दे दिए। अब खुद बच्चे सर्दी के मौसम में नंगे पैर स्कूल पहुंच रहे हैं। बड़ी बात यह है कि योजना और बजट होने के बाद भी बच्चे लाभ नहीं मिल रहा है।
शिक्षकों ने किया विरोध, विभाग ने किया किनारा
छात्रों की समस्या का देखने के बाद कुछ शिक्षकों ने बीएसए कार्यालय पहुंचकर अधिकारियों को समस्या बताई, तो उन्होंने भी पल्ला झाड़ दिया। शिक्षकों ने नाम न छापने पर बताया कि अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि और जूते नहीं मिलेंगे।
स्वेटर के साइज में दिक्कत
परिषदीय स्कूलों में लोनी ब्लॉक में स्वेटर का वितरण किया गया है। आरोप है कि स्वेटर के साइज में भी दिक्कत आ रही है। बच्चों को इतना छोटा साइज दिया जा रहा है कि बड़ी कक्षाओं के बच्चे उसे पहन ही नहीं पा रहे हैं। ब्लॉक के शिक्षकों ने बीएसए से शिकायत की है।
वर्जन...
शिक्षकों ने शिकायत की थी। संबंधित कंपनी को पत्र लिखा गया है। जूते बदलवाए भी गए हैं। कुछ स्थानों पर स्कूल अपने स्तर पर एक दूसरे से जूते बदलकर बच्चों को दे देते हैं। अगर, अब भी कहीं समस्या बची है तो उसका समाधान करा दिया जाएगा। - राजेश कुमार श्रीवास, बीएसए
जूतों के साइज में खेल, छह हजार बच्च्ो नंगे पांव